एक छोटे से गाँव औरदा की ये कहानी,
जहाँ सपनों को मिलती पगडंडी पुरानी।
चौथी कक्षा में था मेरा पीछे से दूसरा स्थान,
पर पिता का वादा दे गया नया उड़ान।
बोले वो – "पहला आएगा तो घड़ी दूंगा तुझको,
डिजिटल वो घड़ी, जो चमकेगा कल तुझको।"
पापा ने पहले ही कर दिया अपना वचन पूरा ,
अब बारी मेरी थी जो था दूर और अधूरा ।
मेहनत से पांचवीं में पाया मैंने पहला स्थान,
गांव और घर परिवार में गूँजा मेरा नाम।
नवोदय की परीक्षा से खुला नया द्वार,
जिसने ने बदल दिया मेरा पूरा संसार।
शुरू में गणित था कठिन, अंग्रेज़ी लगती भारी,
पर गुरुओं की शिक्षा ने बाजी मारी ।
गणित अंग्रेजी सब अब लगेने लगे प्यारे,
बन गए थे अब दोस्त जो सारे ।
अब वही बच्चा आईटी इंजीनियर कहलाता,
कभी जो डरता था, आज दुनिया सिखाता।
है दो बेटियों संग खुशियों का पूरा संसार,
माता-पिता, शिक्षक, मित्रों और JNV का उपकार।
नवोदय ने बदला जीवन की परिभाषा,
बचपन से था जिनकी आशा ।
कृतज्ञ हूँ मैं उन सबका हर पल,
जिसने बदला मेरा आज और कल ।
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